मुंबई, 28 सितंबर। हिंदी सिनेमा में टॉम ऑल्टर का स्थान बेहद खास था। वह न केवल एक उत्कृष्ट अभिनेता थे, बल्कि एक खेल पत्रकार भी रहे। उन्होंने क्रिकेट के दिग्गज सचिन तेंदुलकर का पहला टीवी इंटरव्यू लिया था, जब सचिन केवल 15 वर्ष के थे और भारतीय क्रिकेट टीम में उनका पदार्पण नहीं हुआ था। यह घटना टॉम की जिंदगी और करियर की एक महत्वपूर्ण विशेषता को उजागर करती है, जो उन्हें अन्य कलाकारों से अलग बनाती है।
टॉम ऑल्टर का जन्म 22 जून 1950 को मसूरी में हुआ। उनका परिवार पहले लाहौर में रहता था, लेकिन विभाजन के बाद उनके माता-पिता भारत आ गए। बचपन से ही उन्हें भारतीय भाषा और कला में गहरी रुचि थी। उनकी बाहरी उपस्थिति के कारण लोग उन्हें विदेशी समझते थे, लेकिन वे खुद को पूरी तरह से भारतीय मानते थे। हिंदी और उर्दू पर उनकी पकड़ इतनी मजबूत थी कि वे भाषा के विशेषज्ञों में गिने जाते थे। अभिनय के प्रति उनका झुकाव बचपन से ही था, जिसके चलते उन्होंने पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एफटीआईआई) से पढ़ाई की।
उनका फिल्मी करियर 1976 में धर्मेंद्र की फिल्म 'चरस' से शुरू हुआ। इसके बाद से लेकर 2017 तक, उन्होंने लगभग 300 फिल्मों में काम किया। टॉम की आवाज और अदाकारी का अंदाज उन्हें अंग्रेज अफसर या विदेशी किरदारों में बखूबी ढाल देता था। उनकी प्रमुख फिल्मों में 'शतरंज के खिलाड़ी', 'क्रांति', 'गांधी', 'आशिकी', और 'वीर-जारा' शामिल हैं। थिएटर में भी उनका जादू देखने को मिला, जहां उन्होंने मिर्जा गालिब, मौलाना अबुल कलाम आजाद, और बहादुर शाह जफर जैसे ऐतिहासिक पात्रों को जीवंत किया।
टॉम ऑल्टर का खेल पत्रकारिता में भी महत्वपूर्ण योगदान था। 1980 और 1990 के दशक में, उन्होंने स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट के रूप में काम किया। इसी दौरान, उन्होंने सचिन तेंदुलकर का पहला टीवी इंटरव्यू लिया। उस समय सचिन भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा नहीं थे।
टॉम ने बताया कि उन्हें मुंबई में यह जानकारी मिली थी कि दिलीप वेंगसरकर के बाद एक और प्रतिभाशाली बल्लेबाज उभर रहा है, जो 15 साल का सचिन तेंदुलकर था। इस जानकारी ने उन्हें सचिन से मिलने और उनका इंटरव्यू लेने के लिए प्रेरित किया। यह इंटरव्यू क्रिकेट के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ, क्योंकि टॉम ने सचिन की प्रतिभा को पहले ही पहचान लिया था।
एक अभिनेता और पत्रकार के अलावा, टॉम ऑल्टर एक लेखक भी थे। उन्होंने तीन किताबें लिखीं, जो उनकी गहरी सोच और कला के प्रति समर्पण को दर्शाती हैं। उन्हें 2008 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया, जो भारत का चौथा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है। यह सम्मान उनके फिल्म, थिएटर और सांस्कृतिक योगदान के लिए दिया गया था।
टॉम ऑल्टर का निधन 29 सितंबर 2017 को हुआ। वह लंबे समय से स्किन कैंसर से जूझ रहे थे। उनके निभाए गए किरदार आज भी लोगों के दिलों में जीवित हैं।
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